राज्यसभा में भी पास हुआ CAB

 



लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन बिल पारित हो गया। बिल के पक्ष में 125 वोट पड़े जबकि इसके खिलाफ 105 सदस्यों ने वोट किया। शिवसेना ने वोटिंग के दौरान राज्यसभा से वाॅकआउट किया। इस दौरान सदन में खूब हंगामा भी हुआ। गृह मंत्री अमित शाह ने सदन में कहा, जो अल्पसंख्यक बाहर से हमारे देश में आए, उन्हें राहत मिली है। तीन पड़ोसी मुल्कों से लोग हमारे देश में आए. वहां उन्हें समानता का अधिकार नहीं मिला। वो लोग अपने देश में दर-दर की ठोकरें खा रहे थे।  वह लोग उम्मीद लेकर भारत आए थे। यह बिल लाखों लोगों के लिए किसी आशा की किरण जैसा है। ये बिल धार्मिक प्रताड़ितों के लिए है। मैं इस सदन के माध्यम से देश की जनता का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहता हूंं घोषणा पत्र के आधार पर प्रचार होता है।  बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में इसका जिक्र किया था। हम वोट बैंक की राजनीति नहीं कर रहे हैं। हमने जनता के बीच इस मुद्दे को रखा था और हमें मिला जनादेश इसपर हामी का सबूत है।  विपक्षी दलों को साधते हुए अमित शाह ने कहा, आप चाहते क्या हैं, पूरी दुनिया से मुसलमान यहां आएं और उन्हें हम नागरिक बना दें, देश कैसे चलेगा। क्या हम किसी भी देश से आने वाले मुस्लिमों को अपने देश की नागरिकता दे दें। कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा और टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने इस विधेयक का पुरजोर विरोध किया। कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा, पिछले कुछ सालों से इस बिल को लेकर चर्चा हो रही है। साल 2016 में भी यह बिल लाया गया था लेकिन उसमें और इसमें काफी अंतर है। मैंने गृह मंत्री को आज भी सुना और दूसरे सदन में भी सुना था। उनका कहना है कि सबसे बातचीत हो चुकी है। जांच पड़ताल हो चुकी है। मैं इससे सहमत नहीं हूं। इसकी स्क्रूटनी होनी चाहिएं आप कह रहे है कि यह ऐतिहासिक बिल है, इतिहास इसको किस नजरिए से देखेगा, यह वक्त बताएगा। उधर, नागरिकता संशोधन बिल पर शिव सेना सदस्यों द्वारा सदन से वाॅक आउट करते हुए वोटिंग से बहिष्कार कर दिया। जिस पर सुगबुगाहट भी देखी गई। 


शाह बोले...कब तक टालते रहेंगे देश की समस्याएं 
गृहमंत्री अमित शाह ने सदन को संबोधित करते हुए कहा कि आठ अप्रैल 1950 को नेहरू-लियाकत समझौता हुआ था। दोनों देशों ने अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का वादा किया, किंतु पाकिस्तान में ऐसा नही हुआ। हमारे तीनों पड़ौसी देशों ने अल्पसंख्यकों का दमन किया और वह सुरक्षा के लिए यहां आए। शाह ने कहा कि देश का बटवारा धर्म के आधार पर हुआ, जो सबसे बड़ी भूल थी। यदि ऐसा न होता तो यह समस्या न आती। उन्होंने कहा कि हम देश की समस्याओं को कब तक टालते रहेंगे। यह बिल कभी न आता यदि देश का बंटवारा न हुआ होता। यदि पहले की सरकारों ने समस्या का समाधान किया होता, तो भाजपा सरकार को यह बिल नहीं लाना पड़ता। कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि विपक्ष के कुछ लोगों का सवाल है कि क्या इस बिल को कानून मंत्री की स्वीकृति मिली है, तो मैं उनकों बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार में आने वाला कोई भी बिल कानून मंत्रालय की स्वीकृति लेकर ही आता है।