नाबालिगों को मौत की चाबी न सौंपने की ली गई शपथ


''अमर उजाला अखबार के विशेष अभियान के तहत नाबालिग बच्चों और अभिभावकों को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से नगर पालिका शामली में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में समाज के जिम्मेदार लोगों ने अपने विचार रखते हुए नाबालिग बच्चों को दुर्घटनाओं से बचाने के लिए वाहन न चलाने और अभिभावकों को भी इस ओर जागरूक करने की शपथ ली। नाबालिग बच्चों को प्यार और दुलार में वाहन सौंपने के बाद होने वाली दुर्घटनाओं पर भी व्यापक विचार विमर्श किया गया। गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष पति प्रसन्न चैधरी मौजूद रहे। विशिष्ठ अतिथि के रूप में टीएसआई भंवर सिंह,  अरविंद संगल, घनश्याम दास गर्ग, समाजसेविका वीणा अग्रवाल, अमर उजाला के ब्यूरो चीफ रोहित अग्रवाल ने भी अपने विचार रखे। संचालन पवन सिंघल और एडवोकेट रामकुमार वर्मा ने किया।''


 


स्कूल मौखिक रूप से छात्रों को स्कूल परिसर में वाहन न लाने के निर्देश भले ही दें लेकिन वे छात्रों पर सख्ती नहीं कर पाते हैं। स्कूलों का तर्क रहता है कि ट्रैफिक पुलिस की तरह उन्हें अधिकार नहीं है। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को स्कूलों से ऐसे बच्चों की जानकारी लेकर कार्रवाई करने की जरूरत है। 
                       — घनश्याम दास गर्ग


सिर्फ स्कूल ही नहीं बल्कि कोचिंग क्लासेस में जाने वाले कई नाबालिग छात्र नियमों का उल्लंघन कर बाइक्स या कार लेकर आते हैं। मगर पुलिस का यहां कोई ध्यान नहीं है। कोचिंग क्लास संचालकों की भी जिम्मेदारी है कि वे भी वाहन चलाने वाले नाबालिगों को रोके, ताकि उन्हें दुर्घटनाओं से बचाया जा सके। 
                       — प्रसन्न चौधरी


स्कूल संचालकों को असेंबली के दौरान नाबालिग बच्चों को वाहन न चलाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। स्कूल में बच्चों के वाहन लाने पर रोक लगानी जरूरी है। यदि कोई बच्चा स्कूल के आस—पास वाहन खड़ा करता है, तो ऐसे बच्चों पर भी नजर रहनी चाहिए। ट्रैफिक पुलिस को ऐसे बच्चों को रोकते हुए चालानी कार्रवाई के साथ—साथ उनके अभिभावकों को भी मौके पर बुलाकर नसीहत करने की जरूरत है। 
                       — वीना अग्रवाल, समाजसेविका


ट्रैफिक पुलिस को ऐसे बच्चों को ढ़िलाई देने की जगह सख्ती से विधिक कार्रवाई करने की जरूरत है, क्योंकि यह मुद्दा शौंक से जुड़ा न होकर नाबालिगों की जिंदगी से सरोकार रखता है। अभिभावकों को भी चाहिए कि वें अपने बच्चों को दिखावे से बचाकर उनकी जिंदगी की परवाह करें। 
        — अरविंद संगल, पूर्व चेयरमैन शामली 


मूल रूप से पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को टू-व्हीलर या फोर व्हीलर की चाभी ही न थमाएं। बच्चों के बालिग होने व वाहन चलाना सिखाने के बाद ही चाभी सौंपें। स्कूल व कोचिंग संचालकों की भी नैतिक जिम्मेदारी है कि वे अपने यहां जान जोखिम में डालकर वाहन लेकर आने वाले बच्चों को रोकें।                                — मनोज मित्तल


 


नाबालिगों को हादसों से बचाने के लिए ट्रैफिक पुलिस विशेष प्रयास कर रही है। इसके तहत स्कूलों में बैठकें कर स्कूल संचालकों, बच्चों और अभिभावकों को जागरूक किया जा रहा है। ट्रैफिक पुलिस की ओर से स्कूल संचालकों को स्कूल परिसर में छात्रों के वाहन लाने पर रोक लगाने के लिए कहा गया। संचालकों को ये निर्देश दिए गए हैं कि यदि नाबालिग छात्र वाहन लेकर आते हैं तो वे ट्रैफिक पुलिस को सूचना दें।
                                   — टीएसआई भंवर सिंह