शामली: सुप्रीम कोर्ट के कड़े आदेशों पर जनपद में पराली और पत्ती जलाने के कारण अबतक 45 एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं, जबकि लेखपाल, ग्राम सचिव समेत 56 कर्मचारियों पर जुर्माना हो चुका है। इसके अलावा एसडीएम और थाना प्रभारी को कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ने किसानों से पराली तथा कृषि अवशेष न जालने की अपील करते हुए उसे कृषि यंत्रों से निस्तारित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्वच्छ पर्यावरण पूरे समाज के हित में है, इसके साथ किसी को खिलवाड़ नहीं करने दी जाएगी।
जिलाधिकारी अखिलेश सिंह ने शनिवार को कलक्ट्रेट सभागार में पत्रकार वार्ता में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने गत 4 और 14 नवंबर अपने आदेशों किसानों के पराली न जलाने के संबंध में आदेश दिए हैं, इसके तहत पराली और अन्य कृषि अवशेष जलाने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया गया है। कोर्ट के निर्देशों के बाद जनपद में किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने के लिए विकास खंडों पर ग्राम प्रधानों की बैठकें की, उनके माध्यम से और गांवांे में भी खुली बैठकें की गई, जिसमें लोगों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से अवगत कराया गया। उन्होंने कहा कि समझाने, बुझाने के बावजूद यदि पराली जलाने की घटनाएं पुनः करते हैं तो इससे निपटने के लिए आईपीएसी में भी प्रावधन है, साथ ही वायु प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत भी उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत जनपद में अभीतक जिला प्रशासन ने प्रारंभ में 14 एफआईआर दर्ज करायी थी और गत एक से नौ दिसंबर तक 31 घटनाएं और हुई हैं, इनकी सूचना सेटेलाइट और लेखपाल, ग्राम सचिव, कृषि विभाग आदि से प्राप्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि अभी जो घटनाएं हुई हैं वे पराली जलाने की नहीं बल्कि गन्ने की सूखी पत्तियां जलाने की प्रकाश में आयी हैं। अबतक पराली, पत्ती और कूड़ा जलाने के मामलों में साढ़े तीन लाख रुपए जुर्माना और 45 एफआईआर दर्ज हुई हैं। लोकसेवक के नाते ग्राम प्रधान के अलावा 56 लेखपाल, ग्राम सचिव और कृषि विभाग के प्रावैधिक सहायक कर्मचारियों पर पांच हजार रुपए जुर्माना किया गया। इसके अलावा जिन तहसीलों में सबसे ज्यादा मामले हुए वहां के एसडीएम और थानाध्यक्ष को कारण बताओ नोटिस दिए गए हैं। जिलाधिकारी ने पर्यावरण विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि दिल्ली और उसके आसपास बढ़ रहे प्रदूषण में चालीस फीसदी योगदान पराली का है। उन्होंने जनपद के सभी किसानों से अपील की कि वे पराली या अन्य कृषि अवशेष किसी भी दशा में ना जलाएं, बल्कि उसे कृषि यंत्रों की मदद से निस्तारित कर दें। इसके बावजूद अगर जनपद में कहीं भी किसी ग्रामीण या शहरी क्षेत्र में, शहरी क्षेत्र नगर निकायों को चेतावनी दी कि कहीं भी कूड़ा जलाने की घटना नहीं होनी चाहिए। अगर कहीं भी कूड़ा जलेगा तो पांच हजार रुपए प्रति घटना जुर्माना और इसके अलावा आईपीसी के तहत कठोरतम कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा जीरो टोलरेंस की पाॅलिसी अपनायी जाएगी। उन्होंने कहा कि पाॅलीथिन का प्रयोग रोकने के लिए भी प्रशासन द्वारा व्यापक कार्रवाई की गई है। पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल आईपीएस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप किसानों से पराली और अन्य कृषि अवशेष न जलाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि कोर्ट के आदेश में कोई भी कोताही नहीं है। सभी थानेदार, चैकी इंचार्ज बीट कांसटेबिल को भी पराली जलाने से रोकने के लिए व्यापक प्रचार प्रसार के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण पूरे समाज के हित में है, इससे सभी को लाभ होना है, चाहे हमारे किसान, हम और आप ही क्यों न हों। प्रदूषण कम होगा तो हमारे आपके बच्चे बेहतर जीवन जी सकेंगे। उन्होंने कहा कि अगर कहीं भी पराली जलाने की जानकारी मिल रही है, तुरंत उसमें मुकदमा लिखवाया जा रहा है और आगे भी यह कार्रवाई होती रहेगी। उन्होंने किसानों से कहा कि वे पराली ना जलाएं, ताकि उन पर मुकदमा न लिखाना पड़े। हमारा उद्देश्य पराली जलाने से रोकना है, ना कि किसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना है। पराली जलाने की घटनाओं में कमी आयी है। इस अवसर पर अपर जिलाधिकारी अरविन्द कुमार सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार श्रीवास्तव, डीडी कृषि शिवकुमार केसरी, जिला कृषि अधिकारी हरिशंकर आदि भी उपस्थित थे।
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