सरकार के इस समझौते पर ​भाकियू ने दी बहिष्कार की चेतावनी

भारतीय किसान यूनियन ने क्षेत्रीय व्यापार आर्थिक भागीदारी (आईसीईपी) में सरकार द्वारा किए जा रहे समझौते पर कडा आक्रोश जताते हुए गुरुवार को कलेक्ट्रेट पर जमकर हंगामा प्रदर्शन किया। भाकियू का कहना था कि यह समझौता किसानों के लिए भारी मुसीबत साबित होगा। उन्होंने इस समझौते का बहिष्कार करने की चेतावनी देते प्रदेश के मुख्यमंत्री से कृषि क्षेत्र को इस समझौते से बाहर रखने की मांग की है। भाकियू ने चेतावनी दी कि यदि ऐसा न हुआ तो आंदोलन किया जाएगा। 



शामली: गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन के सैंकडों कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर क्षेत्रीय व्यापार आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) पर केन्द्र सरकार द्वारा मोलभाव व बातचीत किए जाने के विरोध में धरना प्रदर्शन किया। भाकियू कार्यकर्ताओं का कहना था कि इस समझौते में चिंता करने योग्य कई मुद्दे हैं जो सीधे किसानों और कृषि को प्रभावित करते हैं। आरसीईपी वार्ता के अंतिम चरण में एक मेगा व्यापार समझौता है जिसमें भारतीय किसानों के लिए कोई भी फायदा दिखाई नहीं पडता बल्कि वे भारी सब्सिडी वाले उत्पादों के बिना किसी अतिरिक्त मूल्य और सुरक्षा तंत्र के देश में झोंक दिए जाने से गंभीर रूप से प्रभावित होंगे जबकि विश्व व्यापार संगठन के सब्सीडी में कमी से निपटने के लिए अपने आडम्बरपूर्ण तौर तरीकों को सब लोग जानने लगे हैं। वास्तव में विकसित देशों में किसानों और कार्पोरेट किसानों को दी जाने वाली सब्सीडी को कम करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया है। इस तरह की सब्सीडी में बडे पैमाने पर वृद्धि के साथ गैर व्यापार विकृत होने के रूप में दिखाएं, 15 अन्य देशों के साथ जहां भारत पहले से ही उन देशों में से 11 के साथ व्यापार घाटे के साथ संघर्ष कर रहा है यह समझौता भारतीय किसानों के लिए एक बहुत बडी मुसीबत साबित होगा। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कृषि को अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों के लिए कुछ लाभ प्राप्त करने के लिए बलि का बकरा बनाया जा रहा है। यह समझौता किसानों को फायदा पहुंचाने के बजाय उनकी आजीविका पर कुठाराघात करेगा।



आरसीईपी प्रावधान जो भारत के बाजारों में अन्य देशों में सब्सीडी वाले उत्पादों के लिए खोल देगा, हमारे किसानों के मूल्य को कम करेगा। उन्होनें मुख्यमंत्री से मांग की कि इस संबंध में भारत सरकार से अनुरोध करें कि इस समझौते को प्रदेश के किसान अस्वीकार करते हैं और भारत सरकार को इसमें हस्ताक्षर नहीं करने चाहिए, कृषि क्षेत्र को इस समझौत से अलग रखा जाए, भारत सरकार को समझौते का मसौदा सार्वजनिक करने, किसान संगठनों के साथ बातचीत करने, राज्य सरकारों को शामिल कर संसद में इस समझौते पर बात करने, भारत सरकार को बुनियादी लोकतंत्र दायित्वों को पूरा किए बिना इस मामले पर आगे न बढने की मांग की। इस मौके पर भाकियू जिलाध्यक्ष कपिल खाटियान, प्रदेश प्रवक्ता कुलदीप पंवार, जावेद तोमर, राजेश चौहान, ओमपाल सिंह, योगेन्द्र पंवार, गयूर हसन, संजीव राठी, लाखन सिंह, दीपक शर्मा, नदीम सहित सैंकडों की संख्या में किसान मौजूद रहे।