अगर आप शामली जैसे जनपद में रहते हैं, तो यहां पर आपकों बच्चों के साथ होने वाली आपराधिक वारदातों का जिक्र आम तौर पर सुनने और देखने को मिलता ही होगा। सब कुछ पुलिस और कानून पर छोड़कर अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति ब्रेफिक्र हो जाना सही नही है। बच्चों पर मंडरा रहे खतरें को भांपने और उन्हें बचाने की जिम्मेदारी मां—बाप की भी होती है। शामली दर्पण टीम आज आपको ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रही है, क्योंकि आजकल किसी पर भी भरोसा करना सही नही है।
इन्हें कर दें साफ मना
बच्चों को देखकर उन्हें हर कोई छूने लगता है या उनके गाल टानने लगता है। हम यें नहीं कह रहे कि हर कोई बच्चे को गलत नियत से ही छूता है, लेकिन कई बार अनजाने लोग बच्चे के गाल टानने लगते हैं जिससे बच्चों को एलर्जी हो जाती है। क्योंकि आपको नहीं मालुम की जो लोग बच्चे को छू रहे हैं वे किस बीमारी से पीड़ित हैं या उनके हाथ साफ है कि नहीं। ऐसे में किसी को चाहे बुरा लगे या अच्छा। आप साफ कह दें कि मेरी बच्चे को एलर्जी है और इसके गाल ना छुएं। आपके इस रूख को देखते हुए गलत प्रवृत्ति के लोग भी बच्चों से किनारा कर जाएंगे।
बहाना बनाएं की बच्चे को पसंद नहीं
अगर पड़ोस की आंटी या अंकल या कोई और जानने वाला या फिर अपरिचित आपके बच्चे को रोज कुछ ना कुछ खाने के लिए देता है जो कि आपको पसंद नहीं आता तो अपने बच्चे की पसंद का बहाना बनाएं और चीजें देने वाले से कहें कि मेरे बच्चे को ये चीजें पसंद नहीं है। तो आप ये सब चीजें खरीदने में अपने पैसे बर्बाद ना किया करें।
आप अपने बच्चे को खींच लीजिए
सार्वजनिक परिवहन के दौरान या सार्वजनिक जगहों पर कोई आपके बच्चे को खाने की चीज ऑफर करता है तो बच्चे को तुरंत अपने पास खींच लें, और अगर आपको लगे की चीज देने वाले शख्स को बुरा लग रहा है तो उस जगह पर चालाकी से काम लें और बोलें कि अभी डॉक्टर ने इसे ऐसी चीजे खिलाने से मना किया है।
मॉम-सेंस का यूज़ करें
जब एक महिला मां बनती हैं तो उनके अंदर खुद ब खुद एक मॉम-सेंस आ जाता है जो उन्हें अपने बच्चों से जुड़ी सारी तरह की परेशानियों के बारे में खुद पता करने में मदद करता है। इसी मॉम सेंस के कारण माताओं को यें पता चलता है कि कब उनके बच्चे का पेट भर गया है और कब बच्चे को सोने की जरूरत है। ऐसे में जब भी आपको रेस्टोरेंट या शॉपिंग वाली जगहों पर किसी अपरीचित पर शक हो तो अपने बच्चे को उस से दूर कर लें।
सबसे बड़ी बात: बच्चे को ना कहना सिखाएं
अपरीचित व किसी भी तरह के अनजानी घटनाओं से बच्चों को बचाने के लिए बच्चे को ना कहना सीखाएं। ये बच्चों को दूसरों से बचाने का सबसे आसान तरीका है। बच्चे को कहीं पर भी ले जाते समय ये समझा कर निकलें कि बाहर अगर कोई खाने के लिए दे तो मना करें और कोई अपने पास बुलाएं तो तुरंत मां के करीब आ जाएं। साथ ही बच्चे को ये भी बताएं कि किसी को देखकर अभिवादन करना अलग बात है, लेकिन इसके बाद अगर कोई उन्हें छूने की कोशिश करे तो तुरंत मना कर दें।