भाजपा सरकार में यूपी के व्यापारियों को मिल रही...तिलमिलाए

घरेलू यूनिट छह रूपए तो कमर्शियल यूनिट 11 रूपए क्यों?


''योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश के शहरी, ग्रामीण और काॅमर्शियल बिजली की दरों में इजाफा कर लोगों को झटका दिया है। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने घरेलू सहित ज्यादातर श्रेणी के उपभोक्ताओं की बिजली महंगी की है।यह औसतन 11. 69 फीसद मंहगी होगी। घरेलू बिजली की दर भी 8-12 फीसद महंगी कर दी गई है। इसका बुरा असर काॅमर्शियल कनैक्शन पर अपना कारोबार चलाने वाले व्यापारियों पर भी पड़ रहा है, जिसके चलते चारों तरफ आक्रोश फैला हुआ है।''



क्या है पूरा मामला ?
प्रदेश में आम लोगों, व्यापारियों और किसानों के विरोध के बाद भी बिजली की दरों में 10 से 15 प्रतिशत बढ़ोतरी की गई है। इसके चलते अब शहरी क्षेत्र में जहां 15 फीसदी की वृद्धि की गई है, वहीं औद्योगिक क्षेत्र में यह इजाफा 10 फीसदी है। इसके अलावा सरकार ने ग्रामीण इलाकों में फिक्स चार्ज 400 रुपये से बढ़ाकर 500 रुपये कर दिया है। नियामक आयोग उपभोक्ताओं पर लगने वाले 4.28 फीसदी सरचार्ज को भी खत्म करने जा रहा है। इस नुकसान की भरपाई भी पाॅवर काॅरपोरेशन टैरिफ बढ़ाकर करना चाह रहा है। इस बिजली वृद्धि से सबसे अधिक बोझ 68 लाख शहरी उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा। इससे दो-पांच किलोवाट तक उपभोक्ताओं के प्रतिमाह बिल में औसत 100 से 300 रुपये तक की बढ़ोतरी हो सकती है।  शहरी बीपीएल जो अभी तक एक किलोवाट में 100 यूनिट तक तीन रुपये प्रति यूनिट देते थे, अब उसे सीमित कर एक किलोवाट में 50 यूनिट तक तीन रुपये कर दिया गया है। नियामक आयोग ने रेगुलेटरी सरचार्ज 4.8 प्रतिशत को समाप्त कर दिया है। ग्रामीण अनमीटर्ड विद्युत उपभोक्ता, जो पहले एक किलोवाट पर 400 रुपये देते थे, अब उन्हें 500 रुपये देने पड़ेंगे, जो 25 प्रतिशत वृद्धि ठहरती है। गांव का अनमीटर्ड किसान जो 150 रुपये प्रति हार्सपाॅवर देता था, अब उसे 170 रुपये प्रति हार्सपाॅवर देना होगा। यह लगभग 14 प्रतिशत की वृद्धि है। प्रदेश के शहरी घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की दरों में स्लैबवाइज लगभग 12 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. वहीं उद्योगों की बिजली दरों में पांच से 10 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। सरकार के इस फैसले से आम आदमी, किसान, व्यापारियों और उद्यमियों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है, जिसका असर सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की रूपरेखा तैयार करता नजर आ रहा है।


व्यापारियों को मिला जोर का झटका  
एक ओर तो सरकार प्रदेश में उद्यम लाने और व्यापारियों को प्रोत्साहन देने का ढ़िढ़ौरा पीट रही है, वहीं दूसरी और सरकार द्वारा बढ़ाई गई बिजली की दरें व्यापारियों और उद्यमियों का सीधे तौर पर उत्पीड़न करती नजर आ रही हैं। पहले से ही मंदी की मार झेल रहे व्यापारी सरकार के इस फैसले से खासे नाराज नजर आ रहे हैं। व्यापारी सरकार से सवाल कर रहे हैं कि जब घरेलू यूनिट छह रूपए की गई है, तो कमर्शियल यूनिट को 11 रूपए क्यों किया गया है। क्या सरकार व्यापार बंद कराना चाहती है? 


बर्दाश्त नही होगी मनमानी—
शामली इंडस्ट्रियल स्टेट मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष अंकित गोयल ने बताया कि सरकार द्वारा पिछले दो वर्षों में बिजली दरों को दो बार बढ़ाया जा चुका है। सरकार उद्यमियों और व्यापारियों को सहूलियत देने के दावें तो कर रही है, लेकिन धरातल पर इसका उलटा नजर आ रहा है। उद्यम चलाने के लिए सस्ती बिजली की जरूरत होती है, लेकिन सरकार द्वारा बिजली की कीमतें बढ़ाकर उद्यमियों पर भारी बिल का भार लाद दिया गया है, जिसे किसी भी सूरत में सही नही ठहराया जा सकता।  
   आईआईए के शामली चैप्टर के अध्यक्ष अशोक मित्तल ने शामली दर्पण को बताया कि पहले से ही विद्युत दरें पड़ोसी राज्यों से अधिक हैं। विद्युत नियामक आयोग और प्रदेश सरकार ने विद्युत दरों में 10 प्रतिशत से लेकर 15 प्रतिशत तक की वृद्धि करके मंदी की मार झेल रहे व्यापारियों की कमर तोड़ने का काम किया है। ऐसे में विद्युत दरें बढ़ाने का निर्णय आम नागरिक व व्यापारी का खुला उत्पीड़न है। सरकार द्वारा व्यापारियों का उत्पीड़न किसी भी सूरत में बर्दाश्त नही किया जाएगा।